तम्बाकू से भी खतात्नाक नाश बच्चे ले रहे है वो है कपडे में फ्लूइट लगा कर सूंघने का और वो पुलिस की नाक के नीचे हो रहा है।आप ऐसे बच्चों को पटेल नगर की लाल बत्ती पर,शंकर मार्किट के पास,आसिफ अली रोड लगभग सभी जगह देख सकते हो।
इतना ही नहीं स्मैक,चरस सब तरह का नशा करते बच्चे सड़को पर आम देखे जा सकते है।
पुलिस को इस तरफ कड़े कदम और नज़र रखने की ज़रुरत है।ये बच्चे इन नाशो के आदी माँ के गर्भ से ही हो जाते है।और जब 4-5 साल के होते है तब यह मासूम ड्रग माफिया की नज़रो में आ जाते है।
बचपन बचाओ का नारा और पुलिस की क्राइम मीटिंग सब बेमानी है अगर लाल बत्ती पर खड़ा सिपाही रुमाल में नशा सूंघते उस हर एक बच्चे को सही राह पर नहीं लाता और डॉक्टरों का अभियान सिर्फ और सिर्फ समाचार पत्रो में सुर्खिया बटोरने से अधिक कुछ नहीं है।
डॉक्टरों की यह पुलिस के साथ मिलकर यह कोशिश होनी चाहिए कि जो सड़को पर भीख माग रही औरत नशा करती है उसकी जबरन नसबंदी करे और यही सड़क पर उनकी साथ रह रहे मर्दों का भी हो ताकि कोई भी बच्चा माँ की गोंद में नशे में सोया ना हो और वो सड़क पर सड़ी गंदी दूध की खाली बोतल दिखा कर और नशे के लिये पैसे न मांगती घुमे।
अगर यह सब नहीं कर सकते तब सब अभियान एक धोखे से अधिक कुछ नहीं।